The Principal Message
"सर्वप्रथम मुझे इस बात की अत्यन्त प्रसन्नता है कि मुझे इस प्रतिष्ठित संस्था का नेतृत्व करने का अवसर मिला है, मैं इस अवसर पर कालेज प्रबन्धन को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने विद्यालय का नेतृत्व करने और इसकी समृद्ध विरासत को जारी रखने के लिए सक्षम माना है।
सभ्यता के आरम्भिक काल से ही समाज के विकास में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहा है। उसका मूल उद्देश्य व्यक्ति में मानवीय गुणों के विकास के साथ साथ समाज में श्रेष्ठ नागरिक का निर्माण करना है। शिक्षा की सामाजिक उपादेयता को नागरिक की उन योग्यताओं से जोड़कर देखा जा रहा है, जिनके चलते वह अर्थोपार्जन एंव आजीविका प्राप्ति में भी सक्षम हो सकें। इसी दृष्टि से रोजगार परक शिक्षा पर बल दिया जाने लगा है। मूल्य और अर्थ पर समान रूप से केन्द्रित आज के उच्च शिक्षा पर दोहरा दायित्व है। व्यवहारतः श्रेष्ठ नागरिक और जीविका अर्जन के लिए सक्षम व्यक्ति का निर्माण वर्तमान शिक्षा का वास्तविक दायित्व है।
शिक्षा मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, वौद्धिक एंव सामाजिक विकास करता है। हमारा विद्यालय व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास करता है। हमारे विद्यालय में व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास के लिए शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, खेलकूद एंव नैतिक मूल्य परक कार्यक्रम वर्षपर्यन्त चलता रहता है। जिससे छात्र - छात्राएँ लाभान्वित होते रहते हैं। हमारा ध्येय "सा विद्या या विमुक्तये को सा विद्या या नियुक्तये" में प्रतिफल करना है।
ज्ञान प्राप्ति तपस्या के समान है, इसके लिए गुरूजन के प्रति श्रद्धा एंव निष्ठा के साथ- साथ अनुशासन, जिज्ञासा, सतत् स्वाध्याय, धैर्य और प्रतिबद्धता परम आवश्यक है। इनके अनुपालन से आपका जीवन लक्ष्य सहजता पूर्वक सिद्ध हो सकता है। यह विद्यालय पिछडा कृषक बहुल ग्रामीण अंचल में स्थित है, लगभग एक दशक के दौरान विद्यालय ने इस आंचल में उच्च शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विद्यालय में कला, डिजिटल लाइब्रेरी, स्काउट-गाइड, विज्ञान , प्रैक्टिकल, सिलाई-कढ़ाई एवं कम्प्यूटर की शिक्षा उपलब्ध है जिसमें हजारो छात्र-छात्राएँ अध्ययनरत है। विद्यालय में पढ़े हजारो छात्र-छात्राएं विभिन्न क्षेत्रों एंव सम्मानित सेवाओं में विशिष्ट उपलब्धियों के द्वारा राष्ट्रीय एंव अन्तराष्ट्रीय स्तर पर गौरव का प्रतीक बने हुए है। आपको शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ परस्पर सद्भाव, समभाव, सौहार्द, सौमनस्य, सहिष्णुता एंव बन्धुत्व की भावना को समृद्ध करना होगा। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहते हुए अपने कर्तव्यों का समुचित निर्वाह करना छात्रों का परम धर्म है। आपकी युवा अवस्था जीवन का स्वर्णिमकाल है। इसमें अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाएं तथा व्यर्थ की झूठी शान के पीछे न भागें।
विद्यालय का प्राध्यापक वर्ग अत्यन्त सुयोग्य, कर्मठ, छात्र हितैषी एंव अनुभवी है, जिस कारण हमारे छात्र विद्यालय एंव अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में उच्च स्थान प्राप्त करते रहते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप इस गरिमामयी परम्परा को आगे बढ़ाएंगे। आप श्रद्धा एंव निष्ठा पूर्वक शिक्षक का आशीर्वाद एंव मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। मै संकल्पबद्ध हूँ कि आपके स्वर्णिम लक्ष्य को प्राप्य बनाने में विद्यालय सदैव तत्पर रहेगा। अतः अपना लक्ष्य पाने के लिए आपको सदा प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
"उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत "